मुझे उम्मीद है
तुम्हारी हथेलियों में हमेशा
मौजूद होगी थोड़ी-सी नमी,
मैं जिनमें डुबा सकूँ
अपनी उच्चाकाँक्षाओं के
बड़े-बड़े जहाज़
तुम अपने आँचल में
समेट लाओ कोई नदी,
मैं एक लम्बे दिन के बाद
तुम्हारी गोद के किनारे
टिका दूँ अपनी चेहरे की नाव
और तुम्हारे चेहरे के सूरज को
देखूँ धीरे-धीरे नींद के क्षितिज में
डूबते हुए
तुम्हारी चाल में समन्दर बसे
हर बढ़ते क़दम के साथ उठें लहरें
और कमर के बल पर टूट जाएँ,
मेरे मन की दहलीज़ को
साहिल समझ लो
मैं जब भी इसके किनारे से देखूँ
तो नज़र के अन्त तक
मुझे तुम्हारे अनन्त के सिवा
और कुछ भी ना दिखे
खोल दो, अपनी आँखों की
वो गहरी झील, जिसकी गहराई
के बारे में किसी को कोई ज्ञान ना हो
और मेरी अदम जिज्ञासु निगाह
जब भी पता लगाना चाहे उसकी गहराई का
तो डूब जाए कुछ दूर तक
छटपटाने के बाद।
मैं तुम्हारे साथ में खोज रहा हूँ
पानी के नीचे की ज़मीन
जिस पर टिकाकर पाँव
मैं कमर-भर पानी में
पूरी तसल्ली के साथ
डूब जाऊँ
मैं चाहता हूँ
कि तुम्हारे साथ में
केवल मरने का रोमांच हो
गहराई का भय नहीं।