हमको इक किरदार बताकर चले गए
जाने वाले ख़्वाब दिखाकर चले गए

आये थे जो मेरी ख़ैर-ख़बर लेने
अपने दिल का हाल सुनाकर चले गए

क्या बोलूं अब उनकी इस नादानी पर
वो पानी में आग लगा कर चले गए

पाँच बरस में आये फिर से नेता जी
तक़रीरें दो-चार सुनाकर चले गए

पहले ही जो मंजिल पर हैं जा बैठे
राहों में वो शूल बिछाकर चले गए