मैंने सबसे पहला युद्ध
अपनी देह से लड़ा और उसके बाद
न जाने कितने युद्धों से
बच निकल आया हूँ मैं,
न जाने कितनी त्रासदियों को दिया है मैंने चकमा
किसी अनजाने मोड़ पर
अनायास ही मुड़ गया
महामारियाँ बुहारती रहीं सूनी सड़कें,
दुःखों के पहाड़ों को ढोया है आत्मा पर
पवित्र संस्कारों की तरह,
न जाने कितने युगों से नहीं उतारा मैंने अपना बोझ
मैं चरैवेति के बहुत पहले से चल रहा हूँ
चप्पलों के आविष्कार की कल्पना से हज़ारों साल पुरानी है मेरी चाल और खाल उससे भी अधिक पुरानी कि जितने शून्य जड़ती है राजनीति अपनी घोषणाओं में
लेकिन मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि मैं यहाँ से भी निकल भागूँगा उतनी दूर, अपने सारे असबाब को सर पर लादे और तुम देखना
कि जाते-जाते समेट ले जाऊँगा अपने साथ
तुम्हारे पैरों-तले की सारी पृथ्वी
जिसकी गोलाई
मेरे छालों की रगड़ से खुरदरी हो चुकी है।
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