‘Jo Tum Aa Jate Ek Baar’,
poem by Mahadevi Verma

जो तुम आ जाते एक बार!

कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग;
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग भरा उन्माद राग,

आँसू लेते वे पथ पखार!
जो तुम आ जाते एक बार!

हँस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद,
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर-संचित विराग,

आँखें देतीं सर्वस्व वार!
जो तुम आ जाते एक बार!

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Book by Mahadevi Verma:

महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा (२६ मार्च १९०७ — ११ सितंबर १९८७) हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है।