‘Jo Tum Aa Jate Ek Baar’,
poem by Mahadevi Verma
जो तुम आ जाते एक बार!
कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग;
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग भरा उन्माद राग,
आँसू लेते वे पथ पखार!
जो तुम आ जाते एक बार!
हँस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद,
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर-संचित विराग,
आँखें देतीं सर्वस्व वार!
जो तुम आ जाते एक बार!
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