जुदा तो हो गए लेकिन कहानी याद आएगी
वो रातों के हसीं मंज़र जवानी याद आएगी
मैं इतना सोचकर फूलों से अक्सर दूर रहता हूँ
तुम्हारे जिस्म की खुश्बू सुहानी याद आएगी
रकम तो हो चुका दिल के सफों पर इश्क़ का जादू
नये मंज़र भी होंगे तो पुरानी याद आएगी
इसी खलिहान में मैंने मेरा बचपन गुज़ारा है
दरोगा बन भी जाऊँ तो किसानी याद आएगी
लहू, बारूद, लाशें, अब यही कश्मीर घाटी है
महकती थी कभी ये ज़ाफ़रानी याद आएगी
ये ऊँचे बाँध भी बेशक तरक्की की निशानी हैं
मगर अफ़सोस दरिया की रवानी याद आएगी!
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