जुनूँ पे अक़्ल का साया है, देखिए क्या हो
हवस ने इश्क़ को घेरा है, देखिए क्या हो
गई बहार मगर आज भी बहार की याद
दिल-ए-हज़ीं का सहारा है, देखिए क्या हो
ख़मोश शम-ए-मोहब्बत है फिर भी हुस्न की ज़ौ
गुलों से ता-ब-सुरय्या है, देखिए क्या हो
शब-ए-फ़िराक़ की बढ़ती हुई सियाही में
ख़ुदा को मैंने पुकारा है, देखिए क्या हो
वही जफ़ाओं का आलम, वही है मश्क़-ए-सितम
वही वफ़ा का तक़ाज़ा है, देखिए क्या हो
ग़म-ए-बुताँ में कटी उम्र और अब दिल को
शिकायत-ए-ग़म-ए-दुनिया है, देखिए क्या हो
हज़ार बार ही देखा है सोचने का मआल
हज़ार बार ही सोचा है, देखिए क्या हो
मेरा शबाब, तेरा हुस्न और साया-ए-अब्र
शराब-ओ-शेर मुहय्या है, देखिए क्या हो
‘ज़िया’ जो पी के न बहका वो रिंद-ए-मस्ती-कोश
पिए बग़ैर बहकता है देखिए क्या हो!
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