फटे कंबल तले
चलते रास्ते किनारे
क्या तू भी कोई ख़्वाब बुनता है?
क्या तेरी सदा उस तक नहीं पहुंचती?
सुना है
उपवास करने वालों की
वो बहुत सुनता है…

भारत भूषण
An adult who never grew.