ख्वाहिश है कि-
तुम्हारी कमीज के अन्दर ही
अपनी देह धर कर
टिका दूँ ठोड़ी पर अपना माथा
ताकि उगा पाओ तुम
नारंगी-सा सूरज वहाँ,
फिर पूरे ब्रह्मांड तक
विचर आऊँ मैं
सूर्य की रश्मियों संग।
ख्वाहिश है कि-
तुम्हारे सीने के बीचों-बीच
सिर रख दूँ अपना
और लिपटूँ वैसे ही
जैसे कि
बन्दर का बच्चा अपनी माँ से।
ख्वाहिश है कि-
तुम्हारी हथेलियों से
अपनी हथेलियों को जोड़कर
देखूँ वह ताजमहल
जो लकीरों के जुड़ जाने से बनता है।
जिसे कहते हैं
प्यार का एक आशियाना।
ख्वाहिश है कि-
चुनो तुम मेरे गेसुओं से
हरसिंगार की खुशबू
जो दिए थे तुमने
पिछली बार तोहफे में।