एक दरवाज़ा है जो दो दुनियाओं को एक-दूसरे से अलग करता है
इसके कम से कम एक ओर हमेशा अंधेरा रहता है

घर से निकलते वक़्त ताले को टटोलता हूँ
तो दरअसल गिरेबाँ खींच रहा होता हूँ ताले के आविष्कारक का
ताला असुरक्षा की आदत है
जिन दरवाज़ों पर ताला नहीं लगा होता
कोई बुरी नीयत से नहीं देखता उनको
खुले दरवाज़ों से होकर यूँ ही नहीं चला आता कोई

दिल हमेशा रोशनी की तरफ़ खुलता है
दरवाज़ा अक्सर अंधेरे की तरफ़
इसीलिए कोई दरवाज़ा दिल नहीं होता

ये चौखट कैसी है
जिससे मैं किसी नन्हे बच्चे को कंधों पर उठाए
प्रवेश नहीं कर सकता
और ख़ुद अपना सिर भी झुकाकर आता हूँ

घर के सिर पर एक छत है जो दरअसल
छत नहीं, एक और दीवार है,
मेरे और आसमान के बीच।
यह छत मुझे एकटक तकती है और मैं इसे

मेरी तमाम जागी रातों की गवाह यह छत
एक सूखे तालाब का मैदान है
जिसमें कुछ नहीं उगता, जहाँ कोई नहीं रुकता

दीवारें कमरों को उनमें रहने वालों की तरह
अलग करती हैं, अलग रखती हैं
दीवारें मेहमानों की सीमाएँ भी तय करती हैं
दीवारें मर्यादाएँ हैं सदियों पुरानी
दीवारें दो दोस्तों के बीच के वे ग़ैरज़रूरी सवाल हैं
जो हमेशा उनकी बीच खड़े रहते हैं

मैं भी एक दीवार हूँ
अपने और उसके बीच जो मैं हो सकता हूँ।
इस दीवार को कुछ लोग पसन्द करते हैं
दीवार और मज़बूत होती जाती हैं
मैं इस पार कान लगाकर सुनना चाहता हूँ
दूसरी ओर का संगीत, पर कुछ सुनायी नहीं देता।
दीवार ठोस है।
दीवार इरादा है हर नये सम्बन्ध के विरुद्ध।

मैं दीवार हूँ, तो ये घर किसका है?
मैं यह किसके घर में रहता हूँ?

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