कुछ किताबें पढ़कर
किसी को कुछ किताबें दी थीं
उनके कुछ ही पन्ने पलटे गये हैं
मैंने कुछ और अर्थ निकाले
उसने कुछ और;
जीवन में सब परस्पर नहीं होता।

वो किताबें अलमारी में नहीं हैं
न ही सजी हैं कहीं करीने से
मेरे बताये अर्थ
कहीं बदल न जाये पढ़ने से, इसलिये
सजा लिया है उसने उनको
बिना पढ़े हुए;
वो न पढ़ी हुई किताबें
हमारे मूक प्रेम की अभिव्यक्ति हैं।