कितना कुछ है लिखने को
कितना कुछ है लिखकर भुला देने को
जो अलिखित है
उसे लिखने की जिज्ञासा भी है
लेकिन कितना लिखा जाएगा
मनुष्य लिखने की मशीन बन गया हो जैसे
जो लिखा जाएगा वो रहेगा
पढ़ा जाएगा
गुना जाएगा
बुना जाएगा
लिखते रहने को हम अभिशप्त हैं इसीलिए