देखो कोयल काली है पर
मीठी है इसकी बोली,
इसने ही तो कूक-कूककर
आमों में मिश्री घोली।

कोयल! कोयल! सच बतलाना
क्या संदेसा लायी हो,
बहुत दिनों के बाद आज फिर
इस डाली पर आयी हो।

क्या गाती हो? किसे बुलाती?
बतला दो कोयल रानी,
प्यासी धरती देख माँगती
हो क्या मेघों से पानी?

कोयल यह मिठास क्या तुमने
अपनी माँ से पायी है?
माँ ने ही क्या तुमको मीठी
बोली यह सिखलायी है?

डाल-डाल पर उड़ना गाना
जिसने तुम्हें सिखाया है,
सबसे मीठे-मीठे बोलो
यह भी तुम्हें बताया है।

बहुत भली हो तुमने माँ की
बात सदा ही है मानी,
इसीलिए तो तुम कहलाती
हो सब चिड़ियों की रानी।

Book by Subhadra Kumari Chauhan:

सुभद्राकुमारी चौहान
सुभद्रा कुमारी चौहान (16 अगस्त 1904 - 15 फरवरी 1948) हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। उनके दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए पर उनकी प्रसिद्धि झाँसी की रानी कविता के कारण है। ये राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही हैं, किन्तु इन्होंने स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएँ सहने के पश्चात अपनी अनुभूतियों को कहानी में भी व्यक्त किया। वातावरण चित्रण-प्रधान शैली की भाषा सरल तथा काव्यात्मक है, इस कारण इनकी रचना की सादगी हृदयग्राही है।