मेरी कविताएँ हैं
एक बंजर ज़मीन
जो सोख लेती हैं
आँखों की नमी
जहाँ रोज़ आकर ठहरता है
एक दरिया…
मेरी कविताएँ हैं
झील की पाल
जहाँ कबूतरों के साथ बैठकर
थकान उतारते हैं
संयोग से मिले प्रेमी
मेरी कविताएँ हैं
किसान का खेत
जहाँ बोयी जाती हैं
उम्मीदें, डाला जाता
है सन्नाटों का खाद
करनी पड़ती है
प्रतीक्षा मिट्टी की सोंधी खुशबू की
मेरी कविताएँ हैं
जीवन सुधा ढूँढती
जवान तितलियाँ जिनकी
तलाश बुड्ढी हो गयी है
मेरी कविताएँ हैं
जलते हुए जंगल
जहाँ आग थमते ही
ढूँढना पड़ता है
अपनों को मलबे से
मेरी कविताएँ हैं
रात का तीसरा पहर
जहाँ बिस्तरों पर पश्चाताप
की चीटियाँ काटती हैं
करवटें बदलनी पड़ती हैं
और अतीत के शोर से कान
बन्द करने पड़ते हैं!