पाँच हज़ार साल पहले देवता ने धरती पर जन्म लिया था
ऐसा धर्मग्रन्थों में वर्णित है

एक लुहार का बेटा
लोहे का एक मज़बूत टुकड़ा लेकर कई वर्षों से घूम रहा है
कहते हैं वो बावला हो गया है
उसे उस लोहे में इंसान के ख़ून की गंध आती है

उसने जबसे महाभारत के युद्ध की कथा सुनी है
तब से वो उस भूमि की तलाश में घूम रहा है
जहाँ देवता ने युद्ध का व्यूह रचा था
जहाँ कुछ गिने-चुने राजाओं के अलावा लाखों-करोड़ों सैनिकों के रक्त बहे हैं

देवताओं ने इतिहास में विजय की गाथा को अपने मस्तक पर चंदन की भाँति सँवारा है
उनकी अस्थियों के नाम पर मंदिर बने

पर वे जिनकी माँओं, बहनों और पत्नियों ने कभी राज्यलोभ का स्वप्न भी न देखा था
युद्ध भूमि में माँस के टुकड़ों में बदल गए
उनकी अस्थियाँ मिट्टी में मिल चुकी हैं

लुहार का यह बेटा
अपने ख़ानदान के पूर्वजों के पाँच हज़ार साल पुराने अवशेष ढूँढने निकला है
वह भी इतने वर्षों पुराने देवता के बग़ल
उनकी हड्डियों का ढेर लगाना चाहता है
ताकि हिसाब लग सके
कि
राज्य और प्रतिष्ठा किसे मिली
और
मृत्यु और गुमनामी किसके हिस्से आयी

लोहे के टुकड़े में बसी गंध उसे बरबस
अपने पूर्वज सैनिकों के इतिहास पर सवाल करने पर मजबूर कर रही है
कहते हैं ये लोहे का टुकड़ा ऐसे ही किसी युद्ध के मैदान में उसके पिता को मिला था…

आशीष कुमार तिवारी
जन्म : 20 मार्च 1993, इलाहाबाद। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में आधुनिक हिंदी कविता पर शोधरत। 2022 में प्रकाशित पहला काव्य-संग्रह 'लौह-तर्पण' वैभव प्रकाशन, रायपुर, छ. ग. से। 'अक्षर पर्व', 'छत्तीसगढ़ मित्र', 'देशबन्धु दैनिक अखबार', 'वागर्थ', 'समकालीन जनमत', 'हिमांजलि', 'कथा', 'अकार अंक 55', 'बनास जन' अंक 38 व 'पक्षधर' पत्रिका में कविताएं प्रकाशित। मो. 9696994252 7905429287 ईमेल. [email protected]