रेनर मारिया रिल्के के पत्र-संकलन ‘एक युवा कवि को पत्र’ से उद्धरण | Quotes from ‘Letters to a Young Poet’, letters by Rainer Maria Rilke
चयन: पुनीत कुसुम
“एक मानव के लिए किसी अन्य मानव से प्यार कर पाना उसके सभी कामों से अधिक कठिन काम है, यही तो प्रतिमान और सर्वोच्च परीक्षा है। यह वह ललक है जिसके बाद की सभी इच्छाएँ तो तैयारी मात्र हैं।”
“जब कोई महान आत्मा बोल रही हो तब कमतर लोगों को चुप ही रहना चाहिए।”
“रोडिन अपनी कला को जीते थे, रोज़मर्रा के व्यवधानों के बीच उन्हें इसकी तलाश नहीं करनी पड़ती थी।”
“अपने अंतर में जाओ और अपना अस्तित्व वहीं ढूँढो जहाँ तुम्हारी ज़िन्दगी का स्रोत है। मेरे पास इससे बेहतर मशवरा नहीं है।”
“ज़्यादातर घटनाएँ हमारी अभिव्यक्ति से परे होती हैं, यह उस जगह बसती हैं जहाँ तक दुनिया अभी पहुँची ही नहीं है।”
“उस कारण को खोजिए, उस आवेग को ढूँढिए जो आपको लिखने पर विवश कर रहा है। इसे इस रूप में आँकिए कि क्या इसकी जड़ें आपके मन की गहराई तक पहुँच रही हैं? क्या आप दृढ़ता से कह सकते हैं कि यदि लिखने से आपको रोका गया तब मर जाएँगे? और सबसे बड़ी बात, रात के गहरे सन्नाटे में अपने आप से पूछिए : क्या मुझे लिखना चाहिए? अपने मन की गहराइयों में इसका सच्चा उत्तर ढूँढिए और यदि उत्तर ‘हाँ’ में है तथा आप इस गम्भीर सवाल का जवाब आत्मविश्वास की सरलता के साथ देते हैं कि ‘हाँ, मुझे करना है’ तब इसे अपना जीवन बनाइए।”
“अब प्रकृति के समीप आइए और कल्पना करिए कि आप ही वह पहले पुरुष हैं और अब जो देखा, जो अनुभव किया तथा किसे प्यार किया एवं क्या खोया, सब लिख डालिए।”
“कम से कम शुरुआत तो प्रेम गीत से न ही करें; यह बहुत चुनौतीपूर्ण काम होता है। कुछ व्यक्तिगत और विलक्षण लिखने के लिए बहुत परिपक्वता की ज़रूरत होती है, ख़ासतौर से तब जब बहुत-सी महान कृतियाँ पहले से ही उपलब्ध हों।”
“अपने दुःख, अपनी चाहतें, अपने विचार और किसी भी सुंदर चीज़ पर आपका यक़ीन, इन सभी पर लिख डालिए।”
“रचनात्मक कवि निर्धन नहीं होता, उसके लिए कुछ भी निरर्थक या अनावश्यक नहीं है।”
“जब आप अपनी भीतर की दुनिया में पूरी तरह से डूबे होंगे और तब जो कविता अंदर से उभरकर आएगी, उसके लिए आप किसी और से नहीं पूछेंगे कि वह कविता अच्छी है या नहीं। न ही आप प्रकाशकों को उस कविता के बारे में यक़ीन दिलाने की कोशिश करेंगे। आप उस कविता में अपनी ही आवाज़ सुनेंगे; उसमें अपनी ही ज़िन्दगी का एक हिस्सा पाएँगे, यह आपकी अपनी ही अमानत होगी, एक ऐसी कलाकृति जो अनिवार्यता से जन्म लेती है और उत्कृष्ट भी होती है। उसका यह स्रोत उसके बेहतरीन होने का पैमाना है; और कुछ भी नहीं।”
“यह एहसास कि व्यक्ति बिना लिखे भी जी सकता है, इस बात का सूचक होगा कि आपको नहीं लिखना चाहिए।”
“ऐसे हालात जो हमारे लिए बहुत निजी और महत्वपूर्ण हों, उनमें हम ख़ासतौर से पूरी तरह अकेले होते हैं।”
“कुछ समय किताबों को जी लीजिए, इनसे जो सीखने लायक़ हो सीखिए और इन्हें प्यार कीजिए। आपके इस प्यार के बदले आप पर हज़ारों बार स्नेह लुटाया जाएगा और आपके जीवन में जो भी बदलाव आएँ, इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा।”
“मेरा आप से यही कहना है कि आप कम से कम आलोचनात्मक लेख अवश्य पढ़ें, या तो ये पक्षपातपूर्ण नज़रिए होते हैं जो अपनी मृत अवस्था में पथराए एवं अर्थहीन हो गए हैं या फिर शब्दों के चतुर खेल हैं। ऐसे दृष्टिकोण आज तो सहमति पा जाते हैं, पर कल नहीं।”
“कलात्मक रचनाएँ अनादिकाल से हैं और समीक्षा से इनका बोध सम्भव नहीं है। इन्हें केवल प्यार से ही समझा और जकड़ा जा सकता है और तभी हम इनके साथ न्याय भी कर सकते हैं। इनके विश्लेषण, प्रस्तुति या चर्चा के समय हमेशा अपने अंतर की आवाज़ और भावनाओं पर ध्यान दें। त्रुटि होने पर आपकी अंतरआत्मा धीरे-धीरे आपका अन्य निष्कर्षों की ओर मार्गदर्शन करेगी। अपने निर्णयों को शांत और अबाधित भाव से विकसित होने दीजिए। यह भाव भी आपकी भीतरी गहराई से ही आएगा, न कि ज़ोर ज़बरदस्ती या जल्दबाज़ी से। हरेक चीज़ का जन्म अपने समय पर ही होता है। हर विचार को जन्म देने के लिए आपको तर्क और शब्दों से परे जाकर अपने मन की गहराई में धैर्यपूर्वक एक नयी स्पष्टता को आने देने का इंतज़ार करना होगा; और यही स्पष्टता, समझ-बूझ और रचनात्मकता बनकर कला में विद्यमान रहती है।”
“कलाकार बनना कोई जोड़-घटाव का गणित नहीं है, यह तो एक पेड़ की तरह पकने की प्रक्रिया है, जैसे कि पेड़ अपने रस के साथ ज़बरदस्ती नहीं करता है बल्कि वह वसंत की आंधियों में भी इस बात से बेपरवाह होकर कि शायद ग्रीष्म ऋतु न आए, अचल खड़ा रहता है।”
“वाक़ई धैर्य ही सबकुछ है।”
“सच्चे कलाकार के लिए यह सबसे कठिन परीक्षा है कि वह अपने सद्गुणों से बेख़बर रहे ताकि उसकी स्वछंदता बनी रहे।”
“यदि आप प्रकृति, उसकी सादगी और उन छोटी-छोटी चीज़ों के, जो क़ाबिलेग़ौर नहीं होतीं, के समीप रहते हैं तो ये आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण बन सकती हैं।”
“अच्छा से अच्छा लेखक भी अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति में तब चूक कर सकता है जब उससे उन धूमिल सम्वेगों की व्याख्या करने के लिए कहा जाता है जो कि शब्दों से परे हों।”
“आप युवा हो और ज़िन्दगी शुरू करने जा रहे हो। आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप उन सभी मुद्दों पर धीरज रखें जो कि आपके हृदय में इस वक़्त अनसुलझी स्थिति में हैं। सवालों के प्रति वैसा ही स्नेह रखें जैसे बंद कमरे में ताला लगा हो या फिर पराई भाषा में किताब लिखी हो। अभी तुरंत इनके जवाब मत तलाशिए। अभी आपको इनके उत्तर नहीं मिलेंगे क्योंकि वे आपकी समझ से परे हैं। बात अनुभव करने की है। अभी तो आपको सवालों के साथ जीना है। फिर शायद किसी दिन बिना ध्यान दिए ही अपने आप आपको इनके जवाब मिल जाएँगे।”
“तक़रीबन हर वो चीज़ जो हमारे लिए मायने रखती है, वह चुनौती ही है और हर चीज़ मायने भी रखती है।”
“आप कहते हैं कि जो आपके अज़ीज़ हैं, वे आपसे दूर हैं। इससे यह प्रतीत होता है कि आपका विस्तार बढ़ रहा है, तब आपको लगेगा कि आप इतनी दूर चले गए हैं मानों सितारों में से एक हैं। आपका क्षितिज काफ़ी विस्तृत हो चुका है। अपने इस विकास का आनंद मनाइए, इसमें कोई अन्य शामिल नहीं हो सकता।”
“उस दुनिया पर विचार कीजिए जो आपके भीतर है और इस विचार को कोई भी नाम दीजिए… आपकी अंतरतम घटनाएँ आपके प्यार के क़ाबिल हैं।”
“ऐसे अकेलेपन की घड़ियाँ हर किसी के जीवन में आती हैं जिन्हें हम किसी सस्ते या छुद्र साथ या किसी दोयम दर्जे की या फिर किसी नकारा चीज़ से बदलना चाहते हैं।”
“आपको घंटों अपने भीतर रहने और किसी से न मिलने की स्थिति को पाने की कोशिश करनी चाहिए।”
“अज्ञानता ही एकान्त है और विरोध और घृणा तो उन मामलों में फँसना है जिनसे हम हमेशा छुटकारा पाना चाहते थे।”
“हमें संघर्ष को गले लगाना पड़ेगा। हर जीव इसे मानता है। प्रकृति में हर चीज़ अपने ही ढंग से संघर्ष करती है और विकसित होती है तथा अपनी पहचान बनाती है और इसके लिए वह हर क़ीमत पर, हर विरोध के सामने अड़ी रहती है।”
“कुछ चीज़ें मुश्किल होती हैं पर उन्हें कर दिखाना ज़रूरी हो जाता है।”
“जो कोई प्यार के सवाल पर विचार करेगा, उसे लगेगा कि यह मृत्यु की तरह का सवाल है और यह उतना ही कठिन भी है तथा इसका कोई प्रबुद्ध उत्तर, कोई उपाय, कोई रास्ता तक नहीं पाया गया है। यही दो सवाल हैं जिन्हें हम अंदर ही अंदर गुप्त रूप से लिए रहते हैं और जिन्हें बिना सुलझाए ही आगे बढ़ा देते हैं। इन्हें सुलझाने का आम सहमति वाला कोई सिद्धान्त हम जान भी नहीं पाएँगे।”
“यदि हम जीने का सिद्धान्त बना लें कि जो मुश्किल है, उसे हमें अपनाना है तो हमें जो विचित्र लगता है वो ही सबसे सच्चा और विश्वसनीय लगने लगेगा।”
“जब आपके भीतर उदासी का ऐसा उफान हो जिसे आपने पहले कभी अनुभव ना किया हो या आप हर कार्य में अपने आप को बेचैन पाते हैं, जैसे आपके हाथ पर बिजली और बादल कौंध रहे हों, विश्वास करें कि आपके साथ कुछ हो रहा है… कि ज़िन्दगी आपको भूली नहीं है। वो अपने हाथों में आपको सम्भाले है, आपको गिरने नहीं देगी।”
“अपनी ज़िन्दगी से आप बेताबी, दुःख और उदासी को दूर क्यों रखना चाहते हैं? शायद आपको पता ही नहीं कि ये स्थितियाँ आपको कौन-सी पूर्णता प्रदान कर रही हैं। आप क्यों इस प्रश्न पर विचार नहीं करते कि सब कुछ कहाँ से आ रहा है और कहाँ जा रहा है? आपको ख़बर नहीं कि आप परिवर्तन में हैं और परिवर्तित होने के सिवा कुछ भी नहीं चाहते। अगर आपके जीवन का हिस्सा अस्वस्थ है तो मान लीजिए कि बीमारी एक ज़रिया है जीवाणु को बाहरी दशा से बचाने का। इस अवस्था में आपको उसे बीमार रहने देना होगा तब तक, जब तक पूरी बीमारी टूट न जाए। यही उसके विकसित होने की प्रक्रिया है।”
“क्या आप अपने बचपन का स्मरण करते हो कि आपको महानता पाने की कितनी चाह थी? अब मैं देख रहा हूँ कि आप और अधिक महानता की कितनी चाह रखते हैं। इसी कारण महानता मुश्किल होने से कभी रुकती नहीं पर इसी कारण उसका विकास भी नहीं रुकेगा।”
“आप यह मत समझना कि जो आपको अपने शब्दों से तसल्ली देते हैं, जो आपको अच्छे लगते हैं, उनकी ज़िन्दगी आसान होगी। उनके जीवन में भी आपसे कहीं अधिक दुःख और उदासी है। अगर ऐसा नहीं होता तो वह उन शब्दों को नहीं ढूँढ पाते।”
“मैं आपके लिए केवल कामना कर सकता हूँ कि आप विश्वास और धैर्य के साथ उस विशाल एकांत को अपने भीतर कार्य करने दें। यह आप पर एक अज्ञात प्रभाव का काम ठीक वैसे ही करेगा, जैसे पूर्वजों का रक्त सदा बहता हुआ हममें मिल जाता है और व्यक्ति की अटूट कड़ी बनकर रह जाता है।”
अरुंधति रॉय की किताब 'मामूली चीज़ों का देवता' से उद्धरण