मुझे लगता था कि
चिड़ियों के बारे में पढ़कर क्या होगा
उन्हें बनाए रखने के लिए
मारना बन्द कर देना चाहिए
कारख़ानों में चिमनियाँ
पटाखों में बारूद
बन्दूक़ में नली
या कम से कम
इंसान के हाथ में उंगलियाँ नहीं होनी चाहिए
आसमान में आग नहीं, चिड़िया होनी चाहिए।
वनस्पतिशास्त्र की किताब में
अकेशिया पढ़ते हुए लगा कि
इसे पढ़ना नहीं, बचा लेना चाहिए
आरियों में दाँत थे
दिमाग़ नहीं
हमारे हाथों में अब भी उंगलियाँ थीं
जबकि आसमान में चिड़िया होने के लिए
मिट्टी में बदस्तूर पेड़ का होना ज़रूरी था।
फिर देखा मैंने
स्त्री बची रहे, प्रेम बचा रहे
इसके लिए
क़लम का
भाषा का ख़त्म होना ज़रूरी है
हर हत्या हमारी उँगलियों पर आ ठहरी
जिन्होंने प्रेम और स्त्री पर बहुत लिखा
दरअसल उन्होंने ही नहीं किया प्रेम किसी स्त्री से।