आँख खुली जब पहली दफा,
जो स्पर्श मिला वो माँ का था

बचपन अपना जिस साये में बीता,
जो साया था वो माँ का था

बड़े हुए जिसको पीकर हम,
जो दूध था वो माँ का था

जिसको थामकर चलना सीखा,
जो हाथ मिला वो माँ का था

पढ़े लिखे होशियार बने,
जो दिमाग मिला वो माँ का था

पैरों पे जब अपने खड़े हुए,
जो ख़ुशी का आंसू गिरा वो माँ का था

जिंदगी में एहसास हमेशा अपने थे,
पर जो एहसान था वो माँ का था

चुका सको हर क़र्ज़ भले तुम,
पर जो ना चुका सको वो कर्ज उसी माँ का था..