‘अभागी स्त्री’ से
“समाज के पास वह जादू की छड़ी है, जिससे छूकर वह जिस स्त्री को सती कह देता है, केवल वही सती का सौभाग्य प्राप्त कर सकती है।”
दीपशिखा, चिंतन के कुछ क्षण
“मेरे निकट बिना मूल्य मिली जय से वह पराजय अधिक मूल्यवान ठहरेगी जो जीवन की पूर्ण शक्ति-परीक्षा ले सके।”
अन्य
“गृहिणी का कर्त्तव्य कम महत्वपूर्ण नहीं है, यदि स्वेच्छा से स्वीकृत हो।”
“मैं किसी कर्मकांड में विश्वास नहीं करती.. मैं मुक्ति को नहीं, इस धूल को अधिक चाहती हूँ।”
“एक निर्दोष के प्राण बचानेवाला असत्य उसकी अहिंसा का कारण बनने वाले सत्य से श्रेष्ठ होता है।”
“अपने विषय में कुछ कहना पड़े: बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को।”
“प्रत्येक गृहस्वामी अपने गृह का राजा और उसकी पत्नी रानी है। कोई गुप्तचर, चाहे देश के राजा का ही क्यों न हो, यदि उसके निजी वार्ता को सार्वजनिक घटना के रूप में प्रचारित कर दे, तो उसे गुप्तचर का अनधिकार, दुष्टाचरण ही कहा जाएगा।”
“विज्ञान एक क्रियात्मक प्रयोग है।”
“कला का सत्य जीवन की परिधि में, सौंदर्य के माध्यम द्वारा व्यक्त अखंड सत्य है।”
“प्रत्येक विज्ञान में क्रियात्मक कला का कुछ अंश अवश्य होता है।”