तुम्हारे जाने के बाद
मैं अकेला नहीं रहता
क्योंकि कुछ स्मृतियाँ हैं
जो मेरी रूह में बस गई हैं
कुछ अहसास हैं
जो मुझे सोने नहीं देते
ये कैसा रिश्ता है?
मेरी आँख और तेरी यादों के बीच
नींद आँसू बनकर बह जाती है
लेकिन तू नहीं जाती।
तुम्हारे जाने के बाद,
मैं अकेला नहीं रहता।

आज भी रहती हो
कमरे की बिखरी हुई चीज़ों में
चाय में, कॉफी में, डेस्क पर रखी उस किताब में
डायरी में लिखे उन शब्दों में
जो तुमसे कभी कहे नहीं
खूँटी से टँगी उस शर्ट से,
तेरी ख़ुशबू नहीं जाती।
ये ख़ाली-सा कमरा
तुमसे ही भरा हुआ है
जो मुझे सोने नहीं देता, रोने नहीं देता
तुम्हारे जाने के बाद
मै अकेला नहीं रहता।

हर शाम को बैठा रहता हूँ
उस पार्क की ख़ाली बेंच पर
जो ख़ाली होकर भी ख़ाली नहीं है
जब भी देखता हूँ बादलों से घिरे उस चाँद को
तेरे कंधे का तिल याद आता है
तेरे उलझे हुए गेसुओं को सुलझाने में
ख़ुद ही उलझ जाता हूँ।
मैं नहीं सजाता अब बिखरी हुई चीज़ों को
क्योंकि इनमें तुम रहती हो
तुम्हारे जाने के बाद,
मैं अकेला नहीं रहता।

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