‘Main Kavitaaein Kyon Likhti Hoon’, a poem by Harshita Panchariya

प्रेम को सुरक्षित रखने के
प्रयास में
जला देना चाहती हूँ कुछ कविताएँ
ताकि हवा में प्रेम की गन्ध बरकरार रहे।

उम्मीदों को सुरक्षित रखने के
प्रयास में
गाड़ देना चाहती हूँ कुछ कविताएँ
ताकि नवपल्लव में जीवन की उम्मीद बरकरार रहे।

विश्वास को सुरक्षित रखने के
प्रयास में
छत पर टाँग देना चाहती हूँ कुछ कविताएँ
ताकि आँखों में विश्वास की चमक बरकरार रहे।

जीवंतता को सुरक्षित रखने के
प्रयास में
नदी में बहा देना चाहती हूँ कुछ कविताएँ
ताकि जीवन में अनवरतता की लय बरकरार रहे।

कुछ भ्रमों को सुरक्षित रखने
के प्रयास में
लिखना चाहती हूँ कुछ कविताएँ
ताकि इच्छाकल्पित आकांक्षाओं में सुखद अंत बरकरार रहे।

और तुम कहते हो, मैं कविताएँ क्यों लिखती हूँ?

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