माँ का बोया
छोटा पौधा
बढ़कर हो गया है
मातृ-तुल्य
जब खड़कते हैं
घने उसके पत्ते
लगता है
कुछ बोल रही है माँ
रसोई में जाती है
उसकी हवा
और बुझे चुल्हे को
सुलगाती है माँ
और मेरे बच्चे
खाते हैं उसका फल
तो खिला रही होती है
अपने हाथों से माँ
सोचता हूँ
माँ पौधे में है
या पौधा है माँ..