मेरे ख़्वाब जज़ीरे के अंदर
इक झील थी निथरे पानी की
इस झील किनारे पर सुन्दर
इक नील कमल जो खिलता था
इस नील कमल के पहलू में
इक जुगनू जगमग जलता था
दो-चार दिनों से फूल कमल
अब ज़रदी माइल लगता है
और जुगनू ख़्वाब जज़ीरे का
कुछ सहमा-सहमा लगता है
मेरी हस्ती मेरा नील कमल
और जुगनू जोत है सीने की
मेरा ख़्वाब रहे तो मैं भी हूँ
मेरी जोत जले तो मैं भी हूँ
वर्ना क्या लेना देना है
इस ख़ालम ख़ाली दुनिया से!!