मुझे इस अंधेरे से इश्क़ हो गया है,
बहुत हसीन हैं ये अंधेरे,
ना कोई खूबसूरत दिखता है, ना कोई बदसूरत,
ना कोई तुम्हारी कमजोरियां गिन पाता है,
ना कोई तुम्हारी ताकत आँक पाता है,
सिर्फ महसूस कर पाता है तुम्हारी आवाज़,
तुम्हारी गर्मजोशी, तुम्हारी ऊर्जा,
इन अंधेरों में गहराई बहुत है,
इसे समझ पाना बहुत मुश्किल है,

कोई इंसा जिसे समझना नहीं आता है,
कोई जिसे सिर्फ राय बनाना आता है,
कोई जो सिर्फ देखे पर ही विश्वास करता है,
कोई जो कुछ भी नहीं सोचता,
ऐसा कोई यहां नहीं रह पाता,
अंधेरा खुद इन्हें बाहर फेंक देता है,

इन गहरे सन्नाटों में घना अंधेरा मिला हुआ है,
यहाँ रहना हर कोई चाहता है लेकिन रह नहीं पाता,
ये अंधेरे इश्क़ करने के लिए ही बने हैं,
पर सब उजाले की ओर भाग कर,
खुद से भागने की कोशिश करते तो हैं पर,
जानते नहीं कि ये अंधेरी दुनिया उनके अंदर ही सदियों से बसी है,
रोज़ वो नींद लेने उसी अंधेरे दुनिया में जाने का इंतज़ार करते हैं,
लेकिन रह नहीं पाते,
मुझे कहते हैं कि तुम ना इनमें फंस के रह जाओगी,
ऐसे लोग जो हर किसी को समझने की कूवत रखते हैं, सिर्फ वही यहां रह पाए हैं,
यहां रह कर तुम कहीं नहीं पहुंच पाओगी,
तुम इन अंधेरों से भागो, ये एक दलदल है,
मैं कहती हूँ,
मेरा इन अंधेरों से प्यार करना कोई विकल्प थोड़े है,
ये तो बस हो गया,
एक बार बस ऐसी दुनिया बन जाए जहां रोशनी हो
लेकिन लोग इस ही अंधेरे की तरह हर चीज़ को स्वीकार करते हों,
मैं आ जाऊँगी उस रोशनी भरी दुनियां में,
लेकिन तब तक मुझे इस अंधेरे में जीने दो,
क्योंकि मुझे अंधेरे से इश्क़ हो गया है।

कृति बिल्लोरे
आत्म संतुष्टि के लिए लिखती हूँ। कवितायेँ और कहानियाँ लिखना मेरे अंदर सिमटे सारे भावों को शब्दों के रूप में निकालने एक मात्र सहारा है और यही मेरी एक मात्र कला भी है!