जब मुर्ग़ा बाँग देता है
तब सवेरा होता है
या जब सबेरा होता है
तब मुर्ग़ा बाँग देता है
इसकी फ़िलॉसफ़ी क्या है?
मुझे नहीं पता!

पर
पिछले कुछ दशकों में
मुर्ग़ानुमा आदमी ज़रूर पैदा हुए
इस देश में
वे बाँग देते हैं
‘विकास होगा।’
पर होता नहीं
‘समाजवाद आयेगा।’
पर आता नहीं
‘ग़रीबी का नाश होगा।’
और ग़रीबों का नाश हो रहा है
इसकी फ़िलॉसफ़ी क्या है?
मुझे नहीं पता!