जब हमला हुआ तो महल्‍ले में अकल्‍लीयत के कुछ लोग कत्‍ल हो गए। जो बाकी बचे, जानें बचाकर भाग निकले- एक आदमी और उसकी बीवी अलबत्ता अपने घर के तहखाने में छुप गए।

दो दिन और दो रातें पनाह याफ्ता मियाँ-बीवी ने हमलाआवरों की मुतवक्‍के-आमद में गुजार दीं, मगर कोई न आया।

दो दिन और गुजर गए। मौत का डर कम होने लगा। भूख और प्‍यास ने ज्यादा सताना शुरू किया।

चार दिन और बीत गए। मियाँ-बीवी को ज़िन्दगी और मौत से कोई दिलचस्‍पी न रही। दोनों जाए पनाह से बाहर निकल आए।

खाविंद ने बड़ी नहीफ आवाज में लोगों को अपनी तरफ मुतवज्‍जेह किया और कहा- “हम दोनों अपना आप तुम्‍हारे हवाले करते हैं… हमें मार डालो।”

जिनको मुतवज्‍जेह किया गया था, वह सोच में पड़ गए- “हमारे धरम में तो जीव-हत्‍या पाप है..।”

उन्‍होंने आपस में मशवरा किया और मियाँ-बीवी को मुनासिब कार्रवाई के लिए दूसरे महुल्‍ले के आदमियों के सिपुर्द कर दिया।

सआदत हसन मंटो
सआदत हसन मंटो (11 मई 1912 – 18 जनवरी 1955) उर्दू लेखक थे, जो अपनी लघु कथाओं, बू, खोल दो, ठंडा गोश्त और चर्चित टोबा टेकसिंह के लिए प्रसिद्ध हुए। कहानीकार होने के साथ-साथ वे फिल्म और रेडिया पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने बाइस लघु कथा संग्रह, एक उपन्यास, रेडियो नाटक के पांच संग्रह, रचनाओं के तीन संग्रह और व्यक्तिगत रेखाचित्र के दो संग्रह प्रकाशित किए।