कविता: पिता का बायाँ हाथ (My Father’s Left Hand)
कवि: डेविड बॉटम्स (David Bottoms)
अनुवाद: आदर्श भूषण
कभी-कभी पिता का हाथ उनके घुटनों पर फिरता है
अजीब गोलाइयों में घूमता है
और फिर पैरों की तरफ़ बढ़ जाता है
कभी-कभी तो वह घण्टों तक हड्डियों के उस हाशिए पर ही पड़ा रहता है
और कभी-कभी जब पिता कुछ बोलना चाहते हैं
उनका हाथ हवा में लहराता है
किसी शब्द को पकड़ते हुए
और फिर वापस लौटता है उनके वॉकर की पट्टी पर या कुर्सी की बाँह पर
कभी-कभी जब उनके कमरे की खिड़कियों पर शाम पसर रही होती है और काले मेघ घिर आते हैं,
वह तूफ़ान में फँसी किसी गौरैया की तरह छटपटाता है
रात जैसे-जैसे चढ़ती है, उसकी थरथराहट कम होती है
और कम होती ही चली जाती है जब तक वह पूरी तरह स्थिर न हो जाए!
पेरुमल मुरुगन की कविताएँ