‘Naamcheen Auratein’, a poem by Anuradha Annanya

झारखण्ड की आदिवासी महिलाओं के साथ बिताए हुए वक़्त से निकली कविता

कितनी औरतें होंगी
जो जानती होंगी वर्जिनिया वुल्फ़ को
या सुना होगा बोल्ड अमृता शेरगिल के बारे में जिन्होंने
प्रेम में लिखी गई कविता तो हरगिज़ नहीं पढ़ी होगी इन्होंने

यूँ तो मुट्ठीभर ही है साहित्य में तैरती औरतें
पुरुषों के मुक़ाबले
उँगलियों पर ही गिने जा सकते इन औरतों के नाम
मगर इन औरतों की पहुँच से बहुत दूर

सारा शगुफ़्ता से दुःख भी झेला है इन्होंने
प्रेम भी किया ही होगा
अमृता प्रीतम की तरह ही
अलग-अलग पुरुषों से
अलग-अलग उम्र में

हाँ मगर सम्पति में अधिकार की
बात करना
बेहद मुश्किल कल्पना है
मज़दूर औरतों के लिए

ये औरतें
आकर्षक न बन पायीं
मुट्ठीभर नामचीन औरतों की तरह
भाषा मे दर्ज न हो पाया
इनका प्रदर्शन
किन्ही कारणों से

मैं सोचती हूँ
अगर लेतारे, ज़ीरेन, कमला, सायरा, सुमित्रा
अपनी-अपनी जगह से कहें
अपना सोचा हुआ
तो क्या कहेंगी
क्या आकर्षक लगेंगी?
इनकी भाषा में कही गई
इच्छाएँ
स्पोर्ट्स शूज़ पहनने की
शहर देखने की
सेल्फ़ी लेने की

बकरी चोरी होने का ग़ुस्सा
छत टपकने का दुःख
क्या ये बातें भी उतर पाएँगी विमर्श में
साहित्य के पण्डितों के

क्या पसन्द आएँगी
बूढ़ी नानी-दादियों की प्रेम कथाएँ?

नामचीन हुए बिना भी
मामूली वर्जन में…

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