‘Nahi Chahti Ram Bano Tum’, a poem by Amandeep Gujral
अक्सर तुम्हारे काँधे पर सिर टिकाए
खिड़की के उस पार झाँकते
जब भी कहा मैंने-
देखो, कितना सुन्दर है चाँद,
मेरे बालों को प्यार से सहलाते
अंकित कर चुम्बन माथे पर
बार बार तुमने कहा-
मेरा चाँद ज़्यादा ख़ूबसूरत है
क्या इसलिए
कि तुम्हें दिखे चाँद पर दाग
कल कभी मेरे अस्त-व्यस्त कपड़ों
या बिखरे बालों को लेकर
कसी जाएँ फब्तियाँ बेवजह
और मुँह करें चुगलियाँ
तुम्हारे भी कानों तक पँहुचे फुसफुसाहटें
तब भी कहोगे चाँद से सुन्दर मुझे
या फिर
यूँ करते हैं
तुम बनो चाँद
तुम्हारी हर विवशता के बावजूद
अपना लूँगी तुम्हें
मैं नहीं चाहती
राम बनो तुम!