मैं चाहता हूँ
एक अलग दुनिया
जिसमें बदल दी जाएँ कुछ
पुरानी परम्पराएँ
परिभाषाएँ
हालाँकि हो सकता है
यह सिर्फ एक भ्रम
मैं चाहता हूँ कि
सिद्धार्थ नहीं बल्कि
यशोधरा करें गृहत्याग
खोजें खुद का अस्तित्व
और बन जाएँ ‘बुद्ध’
मैं चाहता हूँ कि
मीरा नहीं बल्कि
कृष्ण करें सर्वस्व समर्पित
करें विष-पान
और बन जाएँ ‘प्रेमयोगी’
ताकि लिख दी जाए
प्रेम और त्याग की
अलग परिभाषा
एक नई और अलग
दुनिया के लिए।