नई दुनिया बनाई जा रही है
ख़ुदा तेरी ख़ुदाई जा रही है

तुम्हें तो गम फ़क़त मुस्कान का है
यहाँ तो बेरुखाई जा रही है

मिरे मन में विकल है एक मीरा
कहीं वंशी बजाई जा रही है

उसे नज़दीक लाना है मुझे अब
ज़रा दूरी बढ़ाई जा रही है

वहाँ तक क्यूँ नज़र जाती नहीं है
जहाँ तक रौशनाई जा रही है

#दीपक_विकल