nayi kitaab bharat aur europe - pratishruti ke kshetra

विवरण: ‘ये निबन्ध मेरे उन अकेले वर्षों के साक्षी हैं जब मैं…अपने साहित्यिक समाज की पूर्वनिर्धारित धारणाओं से अपने को असहमत और अलग पाता था…मैं अपने निबन्धों और कहानियों में किसी तरह की फाँक नहीं देखता। दोनों की तृष्णाएँ भले ही अलग-अलग हों, शब्दों के जिस जलाशय से वे अपनी प्यास बुझाते हैं, पर एक ही है। निबन्ध मेरी कहानियों के हाशिए पर नहीं, उनके भीतर के रिक्त-स्थानों को भरते हैं, जहाँ मेरी आकांक्षाएँ सोती हैं…’

  • Format: Paperback
  • Publisher: Vani Prakashan (2018)
  • ISBN-10: 9387648788
  • ISBN-13: 978-9387648784

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nayi kitaab bharat aur europe - pratishruti ke kshetra

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सहज हिन्दी, नहीं महज़ हिन्दी...