nayi kitaab_ek sachchi jhoothi gatha

विवरण: इक्कीसवीं सदी की यह गाथा एक स्त्री और एक पुरुष के बीच संवाद और आत्मालाप से बुनी गयी है। यहाँ सिर्फ़ सोच की उलझनें और उनकी टकराहट ही नहीं, आत्मीयता की आहट भी है। किंतु यह सम्बंध इंटरनेट की हवाई तरंगों के मार्फ़त है, जहाँ किसी का अनदेखा, अनजाना वजूद पूरी तरह एक धोखा भी हो सकता है। अलबत्ता यह धोखा भी है तो ऐसा, जो एक-दूसरे के जीवन को देखने के नज़रिये को उलट-पलट कर रख दे। यहाँ तक कि दो व्यक्ति एक-दूसरे के सपनों में भी आवाजाही कर लें।

आज भी आतंकवाद के हर हादसे पर हैरत होती है कि किसी आस्था, तर्क या सिद्धांत की गिरफ़्त में कोई ऐसे कैसे आ सकता है कि किसी की जान लेने या ख़ुद अपने ही चिथड़े उड़ाने को राज़ी हो जाए।एक सच्ची-झूठी गाथा उस मानस तक पहुँचने की कोशिश है, पर बिना फ़ैसला या फ़तवा दिए, क्योंकि इस सदी की राजनीति में भी अन्याय वैसे ही व्याप्त है और उससे जूझने के तरीक़े हिंसा में ही समाधान खोजते हैं।

यह गाथा पाठकों को एक साथ कई अनचीन्ही पगडंडियों की यात्रा कराएगी।कई बार उन्हें ऐसी जगहों पर ले जाएगी, जहाँ आगे जाने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा। लेकिन यह जोखिम उठाना ख़ुद के अंदर के और बाहरी ब्रह्मांड की गहरी पहचान करवाएगा; एक ऐसी तृप्ति के बोध के साथ, जो सिर्फ़ दुस्साहस और नई अनुभूतियों को जीने के संकल्प से ही मिल सकती है।

प्रेम,मित्रता, स्त्रीत्व, बतरस, लेखकी और सत्य के नए परिप्रेक्ष्य इस अनात्मकथा में खुलते रहेंगे और फिर धुँधले होकर लुकते-छिपते रहेंगे।

Pages: 155
Year: 2018, 1st Ed.
Binding: Paperback
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
ISBN 13: 9789387462045

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