विवरण: “दया शंकर पाण्डेय और मैंने तय किया कि रूसो के दर्शन के आधार पर पहले परिवार, फिर समाज और धर्म, राजनीति का मज़ाक़ उड़ायेंगे परसाई जी मगर सारी चीज़े आज की होंगी। एक दिन अचानक मनोज भाई का फोन आया कि निलय जी परसाई के साथ पॉपकॉर्न को जोड़ना कैसा रहेगा और मैं खिल गया।
मकई के दाने पर मेरी कविता भी है।
एक मक्के के आते ही सभ्यता का संकट साफ़-साफ़ सामने नज़र आने लगा।
मकई के खेत ने एक छोर दे दिया जहाँ से मैं प्रस्थान कर सकता था।
बचपन से अब तक दया शंकर के मन में बसे थे परसाई। मनोज भाई को मुम्बई की अश्लीलता से लड़ने के लिए कार्ल मार्क्स के बाद दूसरा नाटक चाहिए था और मुझे सभ्यता के आक्रमण को समझाने की जगह। इस तरह अलग-अलग दिशाओं से आकर तीन नदियाँ मिलीं और बना ‘पॉपकॉर्न विद परसाई’। उम्मीद है पुस्तकरूप में पाठकों को यह रचना पसन्द आयेगी।”
Publisher: Vani Prakashan
Format: Paper Back
ISBN: 978-93-874098-4-2
Author: Nilay Upadhyay
Pages: 60
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