विवरण:
“ये यात्राएँ आज की नहीं हैं और न केवल बाहर-बाहर की। ये तो पूरी उम्र में बिखरी हुई हैं और जितनी बाहर की हैं, उससे ज़्यादा अंतर्मन में सँजोई स्मृतियों की हैं। मित्रो, आशा है आप इन्हें अपना दुलार देकर सार्थक बनायेंगे।” – कुमार रवीन्द्र
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वरिष्ठ कवि-गीतकार-लेखक कुमार रविन्द्र की यह नयी पुस्तक है। यात्रा-वृत्तांत उनका यह दूसरा है, पहला नेशनल बुक ट्रस्ट से छपा था- ‘और यह यायावरी मन की’। यह पुस्तक ‘यात्राएं और भी’ आपको भारत के कई प्रमुख शहरों में अपने साथ आपको घुमाती है, वहाँ के जन-जीवन, संस्कृति, बोली-बानी और ऐतिहासिकता से आपको रू-ब-रू कराते हुए। ये यात्राएं करीब दस-बीस साल पहले की गयी हैं, तब से शहर भी कुछ बदले हैं, पर बदलते हुए शहरों की आहटें इस पुस्तक में दर्ज़ हैं। यह पुस्तक एक तरफ़ आपको इन शहरों की बुनियाद से जोड़ती है, तो दूसरी तरफ़ उनके बदलावों को भी आपसे साझा करती चलती है। इस पुस्तक में बनता-बिगड़ता-बदलता हुआ कोलकाता, मथुरा, आगरा, लखनऊ, बरहज बाज़ार, अलवर, जोधपुर, अजमेर, जयपुर, हैदराबाद, शिमला, हिसार, द्वारका है। चंद्रिका देवी धाम और वैष्णो देवी भी है। इस पुस्तक से गुजरते हुए हम आधा से अधिक भारत घूम आते हैं और एक बार फिर जाने की सोचने लगते हैं। किसी पुस्तक का यह हस्तक्षेप मामूली नहीं कहा जा सकता। एक बार इसे ज़रूर पढ़ा जाना चाहिए, इन शहरों में जाने से पहले और एक बार इन शहरों से आकर भी इस पुस्तक को पढ़ा जा सकता है।
- Format: Paperback
- Publisher: Rashmi prakashan pvt. ltd. (2018)
- ISBN-10: 8193557557
- ISBN-13: 978-8193557556
- ASIN: B07D9GVS4C
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