विवरण:
‘गाथा रामभतेरी’ सर्वथा भिन्न लोक में विचरण करती है। इसमें राजस्थान की घुमन्तू-फिरन्तु जनजाति बनजारों की गाथा है और केन्द्रीय स्त्री-चरित्र है-बनजारन रामभतेरी।
इस उपन्यास के बहाने कुसुम खेमानी ने हिन्दी के कथा-जगत को अनेक अनोखे चरित्र प्रदान किये हैं और उनमें सबसे अजूबा है-रामभतेरी।
रामभतेरी अपनी अदम्य संघर्ष-क्षमता और जीवटता से बनजारों के जन-जीवन को संवारने का प्रयत्न करने वाली शख़्सियत में बदल जाती है। जिनका कभी कोई घर नहीं था उन्हें एक स्थायी घर और स्थायी जीवन देने का स्वप्न इस उपन्यास का केन्द्रीय स्वप्न है और यह स्वप्न ही उपन्यास को लक्ष्य की दृष्टि से उच्चतम धरातल पर प्रतिष्ठित करता है।
- Format: Paperback
- Publisher: Vani Prakashan (2019)
- ISBN-10: 9388434471
- ISBN-13: 978-9388434478