विवरण:

‘हमारे समय में मुक्तिबोध’ मुक्तिबोध के साहित्य के पुनर्विश्लेषण की दिशा में एक सत्प्रयास है। हिन्दी के महत्त्वपूर्ण आलोचकों के आलेख इसमें संकलित हैं। वरिष्ठ एवं युवा आलोचकों के लेख इसमें शामिल हैं। सभी लेखों में से एक तथ्य यह उद्भासित होता है कि मुक्तिबोध जितनी गम्भीरता से अपने लेखन में सक्रिय थे उतनी ही गम्भीरता उनके आस्वादन के लिए भी अनिवार्य है। सभी लेख इस गम्भीरता को बनाये रखने में सक्षम साबित हुए हैं। मुक्तिबोध ने हिन्दी में गम्भीर रचनात्मकता और गम्भीर वाचन-क्षमता का परिचय दिया था। एक तरह से संस्कृति का पुन:पाठ ही वे कर रहे थे। इस ग्रन्थ के अधिकांश लेख सांस्कृतिक पुनःपाठ के लिए साक्ष्य हैं।

-ए. अरविंदाक्षन

  • Format: Hardcover
  • Publisher: Vani Prakashan (2019)
  • ASIN: B07PG8YZ5C
पोषम पा
सहज हिन्दी, नहीं महज़ हिन्दी...