कितना अकेला कर देगा मेरा प्यार
तुमको एक दिन
अकेला और सन्तप्त
अपनी समूची देह से मुझे सोचती हुईं
तुम जब मुस्कुराओगी—औपचारिक!

प्यार मैं तुम्हें तब भी करता रहूँगा
शायद अब से अधिक
क्योंकि मैं हूँगा सन्ताप का कारण तुम्हारे।

आज तुम्हें प्यार करते हुए
यह सब सोचकर मैं विकल
चेहरा छुपा लेता हूँ
तुम्हारे कोमल उरोजों के बीच।
तुम ग्रीवा पर, लवों पर, होठों पर,
पलकों पर, माथे पर
हौले-से चूम लेती हो मुझे
यों निर्बन्ध करती हो।

कितना ओछा है मेरा प्यार
कितना आत्मकेन्द्रित
तुम्हारे प्यार के आगे!

सब कुछ जानकर भी मैं
अपने से बाँधता हूँ तुम्हें—
सब कुछ जानकर भी तुम
मुझे निर्बन्ध करती हो।

नंदकिशोर आचार्य की कविता 'कविता एक चाक़ू है'

Book by Nand Kishore Acharya:

नंदकिशोर आचार्य
नंदकिशोर आचार्य (३१ अगस्त १९४५) हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। इनका जन्म बीकानेर में हुआ। तथागत (उपन्यास), अज्ञेय की काव्य तितीर्षा, रचना का सच और सर्जक का मन (आलोचना) देहांतर और पागलघर (नाटक), शब्द भूले हुए, आती है मृत्यु (कविता संग्रह) उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं। उन्हें राजस्थान साहित्य अकादमी के सर्वोच्च मीरा पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।