हे मेरी तुम!
फूल तुम्हारे लिए खिला है-
लाल-लाल पंखुरियाँ खोले
गजब गुलाब।

हे मेरी तुम!
इसे देखकर चूमो;
चूम-चूमकर झूमो;
झूम-झूम कर नाच-गाओ;
कुटिल काल देखे,
मुँह बाये,
मुग्ध-मगन हो जाये,
नेह-नीर हो बरसे-हरसे;
जड़ हो चेतन,
चेतन हो
जीवन की धारा;
धारा काटे निठुर कगारा;
मानव को मानव हो प्यारा;
जग हो फूल गुलाब हमारा।

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Kedarnath Agarwal Sanchayan

केदारनाथ अग्रवाल
केदारनाथ अग्रवाल (जन्म: 1 अप्रैल, 1911; मृत्यु: 22 जून, 2000) प्रगतिशील काव्य-धारा के एक प्रमुख कवि हैं। उनका पहला काव्य-संग्रह 'युग की गंगा' देश की आज़ादी के पहले मार्च, 1947 में प्रकाशित हुआ। हिंदी साहित्य के इतिहास को समझने के लिए यह संग्रह एक बहुमूल्य दस्तावेज़ है।