हे मेरी तुम!
फूल तुम्हारे लिए खिला है-
लाल-लाल पंखुरियाँ खोले
गजब गुलाब।
हे मेरी तुम!
इसे देखकर चूमो;
चूम-चूमकर झूमो;
झूम-झूम कर नाच-गाओ;
कुटिल काल देखे,
मुँह बाये,
मुग्ध-मगन हो जाये,
नेह-नीर हो बरसे-हरसे;
जड़ हो चेतन,
चेतन हो
जीवन की धारा;
धारा काटे निठुर कगारा;
मानव को मानव हो प्यारा;
जग हो फूल गुलाब हमारा।
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