मेरी भाषा

मैं सागर का वह आख़िरी छोर हूँ
जहाँ से तुम क्षितिज बन प्रारम्भ होते हो
उस किनारे पर कोई लहर नहीं है
जो तुम तक पहुँचकर लौट सके
मैं लहर नहीं, नदिया की अविराम धारा हूँ
मैं खोती हूँ तुम्हारी सिंधु-सी देह में
जिसे तुम्हारे अलावा कोई नहीं देख पाता
किसी के ह्रदय में अपने प्रेम को खोजना भी
कुछ ऐसा ही उपक्रम है
जहाँ खोने की सम्भावना हो, वहाँ ढूँढने का प्रयास व्यर्थ
कुछ स्थान विलुप्त होने के लिए निर्धारित हैं
इसलिए मैंने उन स्थानों पर स्वयं को विलुप्त कर लिया है
खोजने की प्रक्रिया को विराम दे दिया है
वह उसी भाषा के शब्द हैं जिन्हें
मैं बिना वर्णमाला के सीखना चाहती हूँ
जब मैं कुछ कहूँ तो वही वर्ण सुन सकें जिन्हें मैंने रचा है
एक भाषा तो मेरी अपनी भी होनी चाहिए!

स्मृति विस्मृति

रे मन
तुम उतनी आसानी से भूलते क्यों नहीं
जितनी आसानी से याद करते हो
ज़्यादा न सही, थोड़ा ही सही संतुलन करना सीखो
तुम्हारे तराजू में झोल बढ़ता ही जा रहा है
क्या स्मृतियों के पास पृथ्वी की भाँति सहनशीलता नहीं
सदा ही वायु-सा वेग धरे रहती हैं
फिर रेत-सी बिखर जाती हैं
इस प्रक्रिया में भूलने को भूल जाना यादों के साथ अन्याय है
वे भी मुक्ति चाहती हैं
उस क़ैद से जो दंड स्वरूप प्राप्त हुई है
उन्हें मुक्त कर पुरस्कृत करो
खो जाने दो उन्हें आसमान में टिमटिमाते तारों के बीच
जहाँ सूरज उन्हें अपने स्वर्णिम प्रकाश में समेट लेगा
कब तक मन की अंधेरी कोठरी में क़ैद करके रखोगे
संतुलन सदा से ही सुंदर रहा है!

कहाँ छुपा है साहस

कहाँ छुपा है साहस

साहस यह कहाँ छुपा है
भीतर कितने भीतर और कहाँ

लगा जैसे निकलने को आतुर हो
क्या प्रतीक्षा करूँ
या निकाल बाहर
या सिर्फ़ महसूस करूँ

साहस जो प्रेरित करता है
उन पगों को
जो कतराते हैं आगे बढ़ने से,
साहस जो उत्साहित करता है
उनको
जो रुकते हैं मंज़िल से पहले

साहस खींच ले जाता है
उस उगते पौधे-सा
जो बीजांकुर से फूट धरती को
चीरता है

साहस जो तटिनी-सा
जो बहा ले जाती है
स्वयं को सिंधु की अपार बाँहों में

साहस जो अंधकार में प्रकाश की
एक धूमिल-सी लकीर-सा
खिंचा चला जाता है
उन अनंत चापों-सा
जिनके आने की आहट
निकाल देती है
उस निष्क्रियता
के खोल से, जिसे ओढ़
काल परिवर्तन की प्रतीक्षा में
सदियाँ गुज़ार रहा हो कोई उन्मादी

साहस जो एक हारे हुए इंसान की
हिम्मत बढ़ाकर
उसे फिर से प्रयास करवाता है

कहाँ छुपा है साहस
साहस यह कहाँ छुपा है
भीतर कितने भीतर और कहाँ।