ठहराव
और एक दिन जब
मनुष्य ने ईश्वर को फड़
पर बैठने को कहा
ईश्वर ठिठका
मनुष्य की बिछाई बिसात देख
पहली चाल मनुष्य ने चली
विकास
सारे अर्थहीन, ख़तरनाक मुद्दे
उठ खड़े हुए
दूसरी चाल
विज्ञान
हृदयहीन हुए मनुष्य
ईश्वर हँसा
अब आख़िरी चाल उसकी थी
उसने पासे फेंके
दौड़ते मनुष्यों के पैरों में उसके पासे थे
अब ईश्वर के सामने मनुष्य था
और मनुष्य के सामने उसकी छाया
यह देख
पृथ्वी फिर से उठ खड़ी हुई।
पृथ्वी का रुदन
रात का फक्कड़
आवाज़ देता है पृथ्वी को
शान्ति का प्रकाश सिर्फ़ एक लहर है
जो रोष के तूफ़ान में खो जाती है
असहाय पृथ्वी
निर्दयी आत्माओं से करती है रुदन
ज़रा ठहरो मेरे दर्द को साझा करो
बाँसुरी बजाता मनुष्य
ओट में हो जाता है
मैं समय, समुद्र का एक बेड़ा
अपने डूबने के इंतज़ार में हूँ।
तुतलाते बोलों में मौत की आहट
एक अन्तहीन रात में
एक औरत तोड़ना चाहती है दुस्वप्न के जालों को
वो छाती की दर्दनाक गाँठ में दबे
उस शून्य को निकाल देना चाहती है
जो हर चीख़ के साथ बढ़ता जाता है
और हटाना चाहती है
इर्द गिर्द जमा डर की बीट को
वो रखना चाहती थी ज़िन्दा
सत्य, न्याय, प्रेम की कहानियों को भी
जो पिछली रात उसने सुनायी थीं
उस फूल को जिसे
टिड्डियों ने तबाह कर दिया
अब किलकारियों के साथ
कहानियाँ भी दफ़न हैं
हिंसा से बचने के नुस्ख़े खोजना चाहती है वो औरत
हर उस फूल के लिए जो अभी खिले नहीं
हालाँकि पिछली रात टैंकों के नीचे
एक नन्ही धड़कन दबा दी गई है
गर्भ धारण करने वालियों को नहीं पता
कंस ने फूलों पर हिंसा की शुरुआत
उसी दिन कर दी थी
जिस दिन वो देवकी के गर्भ में छुपे थे।
घनघोर अन्धेरे में
घनघोर अन्धेरे में जो दिखती है,
वो उम्मीद है जीवन की
हिंसक आस्थाओं के दौर में प्रार्थनाएँ डूब रही हैं
अन्धकार के शब्द कुत्तों की तरह गुर्राते
भेड़ियों की तरह झपट रहे हैं
उनकी लार से बहते शब्द
लोग बटोर रहे हैं उगलने को
जर्जर जीवन के पथ पर पीड़ा के यात्री
टिमटिमाती उम्मीद को देखते हैं
सौहार्द्र के स्तम्भ से क्या कभी किरणें फूटेंगीं
उधेड़बुन में फँसा बचपन
अन्धेरे की चौखट पर ठिठका अपनी उँगली से
मद्धिम आलोक का वृत्त खींचना चाहता है
एक कवि समय की नदी में
क़लम का दिया बना कविताओं का दीपदान कर रहा है।
निस्तब्ध
धरती को चूमने के हज़ारों तरीक़े हैं..
सारी व्याख्याएँ ख़त्म हुईं
दिल का ताप बढ़ा
मेरे दिल में छिपे तारे ने
सातों दिशाएँ रोशन कीं
गिर जाने पर हाथ बढ़ाकर उठा देना
ऐसे शख़्स का मिल जाना
इस धरती की सबसे अद्भुत घटना है
कि ईश्वर को पता है ये दुनिया कैसे चलती।