अक्षर
शब्द और अर्थ
पद और वाक्य
तुम और मैं
शब्द
जो पृथक हो गए
काश! अक्षर ना होते।
वर्ण
कुछ शब्द
जीवन में ऐसे गूँजते हैं
जो निराशा से भर देते हैं
कुछ वाक्य
जिनमें जीवन का
अदम्य उत्साह है
कुछ पंक्तियाँ
मन के बिख को सोख लेती हैं
मुझे इंतज़ार है
उस अस्फुट वर्ण के
फूटने का
जिससे
जीवन संयत हो सकता है
और सरस भी।
शब्द
जिसे कहा नहीं
वो सिर्फ़ संरचना है
कह देने भर से
उसे एक आधार मिला
यूँ तुम्हारे विन्यास से
हमने द्वंद्वात्मकता को समझा।
अर्थ
जीवन में कितने शब्द भरे हुए हैं
हमारे आसपास
शब्द-दर-शब्द
कुछ पहचाने
कुछ पालतू
कुछ बे-चीन्हे
शब्दों में अर्थ की भंगिमा
तुम-से है।
तुम-सा है।
पंक्ति
लौटना
पंक्तियों का वाक्यों में
वाक्यों का शब्दों में
शब्दों का वर्णों में
वर्णों का अक्षरों में
और
लौटना सामूहिकता में
अपने अर्थों में
जैसे खेत से लौटता है किसान
घरों में।
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