Poems: Mahima Shree

लड़की

क्या चाहती है
लड़की?
सपने बुनने का अधिकार पा तो लिया
लड़-लड़कर
अब तैयार है
सपनों को संजोकर
आनंदोत्सव मनाने के लिए,
लड़की
नहीं जानती
तेज़ धार पर चल रही है।
सम्भलना पड़ेगा
ताज़िन्दगी!
क़दम फूँक-फूँककर रखना पड़ेगा
सपनों के पूरे होने तक!
उत्सव तो
अगले जन्म में नसीब होगा
या
कई जन्मों के बाद,
अभी तो उसे
यूँ ही
उत्सव का भ्रम है!

मायाजाल

हमने अपने अंदर बना डाले हैं
अजीब से दायरे
अनेक बँधन
अनेक विचार
हमने पाल रखी हैं अजीब-सी मान्यताएँ
अनेक नियम
अनेक प्रथाएँ
इनसे निकल नहीं पाते
घूमते रहते हैं उसी में
बाहर जा नहीं पाते
हमने कहीं भी नहीं खोले रखे हैं दरवाज़े
डाल रखे हैं दरवाज़ों पर ख़ुद ही बड़े-बड़े ताले
खो बैठे हैं उनकी चाबियाँ
नहीं ढूँढने जाते उन्हें
सोच रखे हैं कई बहाने
बाहरी हवाएँ नहीं आतीं
मौसम भी नहीं बदलते
सूरज की किरणें भी लौट जाती हैं टकराकर
दो पल ख़ुश हो जाते हैं
अपने इंतज़ामात पर
पर अगले पल ही छा जाता है घनघोर अँधेरा
मुश्किल होता है ये जानना
दिन है या हो गयी है रात
सच है
या है कोई मायाजाल!

महिमा श्री
रिसर्च स्कॉलर, गेस्ट फैकल्टी- मास कॉम्युनिकेशन , कॉलेज ऑफ कॉमर्स, पटना स्वतंत्र पत्रकारिता व लेखन कविता,गज़ल, लधुकथा, समीक्षा, आलेख प्रकाशन- प्रथम कविता संग्रह- अकुलाहटें मेरे मन की, 2015, अंजुमन प्रकाशन, कई सांझा संकलनों में कविता, गज़ल और लधुकथा शामिल युद्धरत आदमी, द कोर , सदानीरा त्रैमासिक, आधुनिक साहित्य, विश्वगाथा, अटूट बंधन, सप्तपर्णी, सुसंभाव्य, किस्सा-कोताह, खुशबु मेरे देश की, अटूट बंधन, नेशनल दुनिया, हिंदुस्तान, निर्झर टाइम्स आदि पत्र- पत्रिकाओं में, बिजुका ब्लॉग, पुरवाई, ओपनबुक्स ऑनलाइन, लधुकथा डॉट कॉम , शब्दव्यंजना आदि में कविताएं प्रकाशित .अहा जिंदगी (साप्ताहिक), आधी आबादी( हिंदी मासिक पत्रिका) में आलेख प्रकाशित .पटना के स्थानीय यू ट्यूब चैनैल TheFullVolume.com के लिए बिहार के गणमान्य साहित्यकारों का साक्षात्कार