Poems by Pankhuri Sinha
वही मुक़दमा है प्रेम पर
लगभग वही मुक़दमा है प्रेम पर
जो मेरी कविता पर
दोनों को बताया जा रहा है नेगेटिव
अँग्रेज़ी का एक शब्द
जिससे पहला संज्ञान होता है
एक ब्लड ग्रुप का
ख़ून के एक प्रकार का
देखिये, कितनी अजब जगह है
ये सोशल मीडिया भी
इतने तो हादसे
सड़क हादसे
दीवारों के भीतर के कुकृत्य
रोज़ होते हैं रिपोर्टेड
और रोज़ होती है ज़रूरत
ख़ून की
कुछ हादसे प्रेम के दरमियान भी होते हैं
कई बार, क़त्ले आम भी
लेकिन यह कविता प्रेम के
नकारात्मक साबित हो जाने की
दुर्दशा से बचने का एक प्रयास है
और आपसे अनुरोध
कि उसकी और न लें परीक्षा
वह एक बहुत थका हुआ राही है
उसे और न चढ़ाएँ
समाज की हज़ार क़िस्म की स्वचालित सीढ़ियाँ…
सृजन
हज़ार बार डूब उतरकर
एक सी लहरों में
वो गढ़ नहीं पाए
हाड़ माँस का एक बच्चा
अनावृत्त नहीं हो सका
कभी एक का प्रेम
कभी दूसरे को फ़ुरसत नहीं मिली
सागर भी बने के बने रहे
दोनों के बीच
तनी रहीं पतवारें
उन्होंने नाम भी बताये
एक दूसरे को उन सबके
जिन्होंने सीख लिया था
इस बीच तैरना
पार उतरना और किनारे लगना
और दुनिया की सारी समस्यायों के समाधान
सोच लेने के बावजूद
वो नहीं सोच सके एक बच्चे का नाम…
समय की यह धार
बड़े श्रम से मोड़ी गयी है
समय की यह धार
लौटाकर लाया गया है
एक बीता हुआ कृत्रिम समय मेरे लिए
जबकि जब वह समय था
बढ़िया था, सुन्दर था
उसे लौटाया गया है इस तरह
कि तात्कालिक संकटों के
कारण ढूँढे जाएँ उसमें
जैसे ढूँढी जाती है
राई के पहाड़ में
गुमी हुई सुई
और जब किया जाता है ऐसा
तब दस उपक्रम किये जाते हैं
असहज, अनैतिक भी
ढूँढने को वह चीज़
जो दरअसल गुमी ही नहीं
गुमा है कुछ और
जिसे ढूँढा नहीं जा रहा
केवल गतिरोध नहीं है कष्ट
इस पूरी प्रक्रिया का
एक क्षद्म संकट से उबरते
निपटते रहने की कोशिश में रहना
दरअसल, अपने जीवन में
बने रहना नहीं होता…
रिश्ते
रिश्ते कोई स्वेटर तो होते नहीं
जिन्हें पहन लेना हो
या जिनमें समा जाना हो
जो फ़िट हो जाएँ बिल्कुल,
रिश्ते साड़ी चादर भी नहीं
जिन्हे ओढ़ लिया जाए
लपेट लिया जाए
या सिमट जाया जाए
उन्हीं में,
रिश्ते तो महसूसने की चीज़ हैं
पर यही समझा रही थीं
उसे उसकी सब बड़ी समझदार बहनें
रिश्ते महसूसने की नहीं
पहनने की ही चीज़ हैं
जो उन्हें ज़ेवर की तरह पहनती हैं
वो महिलाएँ सबसे बुद्धिमती होती हैं…
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