Poems: Perumal Murugan
Book: ‘Songs Of A Coward’
अनुवाद: आदर्श भूषण
अन्त्येष्टि की ख़बर
उस दिन, सड़क शमशान में तब्दील हो गयी
जो आए थे चिता को अग्नि देने
उत्तराधिकार के दावों के साथ
उनके उंगलियों में आग की लपटें थीं
रचा गया सब जलकर हवा में मिल गया
पहले, निष्क्रियता पसरी
फिर, एक दिन, सारे रिवाज पूरे कर दिए गए
अब इस समय
मैं तुम्हें
तुम्हारे ही शब्द
याद दिलाना चाहता हूँ
शरीर मरता है,
आत्मा नहीं!
रबड़
अपने शरीर की नमी से
मैंने एक रबड़ बनाया
अपने हाथों में पकड़कर
मैंने मिटानी शुरू की
अपनी सारी पाण्डुलिपियाँ
छोटे रबड़ के क़तरों का ढेर लगने लगा
काफ़ी दिनों और रातों के बाद
सारे साफ़ पन्ने
बिजली की तरह चमकने लगे
अब मैं रबड़ को लम्बा खींचता हूँ
और उसे दीवार पर एक ब्रश की तरह इस्तेमाल करता हूँ
सब कुछ, यहाँ तक कि कम्प्यूटर की स्क्रीन भी
अपना रंग पुनः प्राप्त कर लेती है
रबड़ से ख़ून गिरने लगता है
मुझे और मिटाते रहना चाहिए
चाहे उसका मतलब हर चीज़ पर
ख़ून के धब्बे छोड़ना ही क्यूँ ना हो
दिन, हफ़्ते
महीने, साल
मैंने अपने रबड़ को
समय की दीवार पर
ज़ोर से रगड़ा है!
नास्तिक
मेरा निकृष्टतम अपमान करने के
पूरे जोश और मज़े के साथ,
किसी ने कहा—
‘तुम नास्तिक हो’
‘हाँ
यह तो
ईश्वर भी
जानता है’
मैंने उत्तर दिया!
उस एक दिन
एक दिन ऐसा होता है
तुम्हारे जीवन का एक नियत दिन
जो तुम कभी नहीं भूल सकते
जिस दिन तुम्हें
तुम्हारी ही आँखों के सामने
मार दिया गया था।
युद्ध
यह निश्चित ही युद्ध है
सभी हाथों में शस्त्र हैं
और उन्हें खड़ी घूरती है
निरस्त्र
शान्ति!