नन्हे हाथ
उसने कहा, “रोटी मैं बनाऊँगी।”
मैंने उसे बेलन-चकला थमा दिया।
उसके नन्हे हाथ रोटी बेलने लगे,
और
इसके साथ ही एक नयी दुनिया का निर्माण होने लगा।
नयी दुनिया छोटी थी,
असमान थी,
लेकिन
सुन्दर थी,
गर्म थी।
साँझ
मैं खिंचा चला जाता हूँ
जहाँ होते हैं
पहाड़,
जंगल,
बहती धारा,
या
डूबता सूरज।
सबसे नज़दीक यदि कोई है
तो वह है डूबता हुआ सूरज।
उसे देखने के लिए मुझे नहीं जाना पड़ता है दूर
पहाड़ों पर,
जंगलों के बीच
या
धाराओं के किनारे।
डूबता सूरज दीख जाता है,
घर की छत से
या
मन के भीतर।