आज के अर्जुन ने जयद्रथ को पत्र लिखा,
“कमीने!
हमारे आदमी को अन्याय से मार दिया?
हम तुम्हें ढील दिये हुए थे-
लेकिन तुम याद रखना कि कल शाम के बाद तुम भी-
ज़िन्दा न रहोगे।”
प्रतिक्रिया हुई-
अब वो जमाने लद गये।
ऐसे हजारों जूतियाँ चटकाते फिरते हैं-
बातें बघारते हैं
धमकाते हैं और दुबक जाते हैं।