प्रेम लाचार रहा है हर युग में भूख के आगे
भूख से बेहाल को प्रबुद्ध होते देखा जाना दुर्लभ है
भरा होगा जिसका पेट,
प्रेम की बड़ी बातें वही करता है, मित्र!
रोटी की गोलाई और प्रेम के कोणों में
एकरूपता न कभी थी, न होगी
पेट की अँतड़ियों में जो ऐंठन होती है
वो प्रेम त्रिशूल से ज़्यादा चुभती है।
भूख का इतिहास प्रेम से पुराना है
किताबें खंगाल लो, सच मिल जायेगा।