‘Prem Aur Chalis Paar Ki Auratein’, Hindi Kavita by Anupama Jha

जब प्रेम कविता लिखती हैं
चालीस, पचास पार की औरतें
तो लगाये जाते हैं
विशेषणों के भी, विशेष अर्थ।
ढूँढी जाती है कोई कहानी
उस कविता में!
शब्दों के
संधि तो कभी विग्रह
किये जाते हैं बारम्बार।
भावों को तौल
बीते सालों से जोड़-घटा
लगाया जाता है
एक हिसाब।
और की जाती है
एक समीक्षा-
उम्र की गोधूलि में
प्रेम का सूर्योदय
प्रकृति के विरुद्ध है।

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अनुपमा झा
कविताएं नहीं लिखती ।अंतस के भावों, कल्पनाओं को बस शब्दों में पिरोने की कोशिश मात्र करती हूँ।