कोई शब्द विलोम नहीं होता
किसी शब्द का
वह अपना आप होता है
जब तक बलात् तुम उसे
दूसरे से भिड़ाओ नहीं
कविता भिड़ाती नहीं
साथ-साथ करती है
शब्दों को
—उनको भी
विलोम कह देते हैं जिनको—
हो सकें सम्पन्नतर दोनों
परस्पर
हर कविता
—इसलिए बस—
प्रेम-कविता है।