प्रेम में झेलम की तरह बहना
सिन्धु की तरह मिलना

आयत को ऋचा की तरह पढ़ना
श्लोक की तरह उच्चरित होना।

वरना आसान नहीं होता
पंडो और मौलवियों के बस्ती में
आयत का श्लोक से प्रेम करना।

इसलिए लफ्ज़ ही कम थे इज़हार के लिए,
आँसू भी बंजर थे तुम्हारे प्यार के लिए।